Sunday, March 28, 2010

घोडे की मजबूरी........

ये घोडे की मजबूरी है
या घास की
या कुछ पाने की आस की
सोये हुए जंगल से
आवाज़ दो
इन युवाओं कों जगाओ
इन्हें प्रेम या प्यार का अर्थ सिखाओ
इन्हें प्रेम से नहीं
प्रेम रोग से बचाओ
क्यों की प्रेम जीना सिखाता है
और रोग मरना और उदासी
इसलिए उठो
इस तिलस्म का जादू उतारने में
इन कवियों की मदद करो
और साबित करो
कि वे सारी चीज़ें अन्धी हो गयीं हैं
जिनमें तुम शरीक नहीं हो…’ ....
...मुकन्दा

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