Sunday, March 28, 2010

भोजन की खोज में सब एक साथ ..


इस विशेष शहर में मुझे दिखाई देता है
हर तरफ एक विलक्षण और विहंगम दृश्य
आप को शायद दिखाई ना दे
आपको दिखाई देती होगी शहर के चारो और खुशहाली
गगनचुम्बी इमारते
कारो और मोटरों की भीड़
हर जगह पिकनिक सा मनाते हुए
नौजवान लडके लड़कियां
कवियों और कलाकारों ने ने अपना लिए हैं
जीवन से जीवन को अलहदा करने के ढंग
मोबाइल पर ही कलाकारी और कविता करनी सिख ली
बुद्धीजीवी अब कुछ नहीं सोच रहे
वे सूर्य से बिछुड़ते हुए से लग रहे है
और शहर में सूरज को ढूँढ रहे है
अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष के कारण
तरकी और पैसा कमाने के नाम पर
दुनिया एक हो गई
सब के सब जादू से बदलना चाहते है सब कुछ
पर क्या ये संभव है
धरती पर लाना चाहते है
एक व्यस्त झूठा और केवल अदृश्य झूठा स्वर्ग
चारो और मुर्दा शांति सी छाई है
शहर ही क्या सारे देश के सोचने का ढंग ही बदल गया है
आत्‍मा का सूरज डूबटा जा रहा है
और लोगो की नजर मोहब्बत को चूमना भूल रही है
मुझे दिखाई दे रहा है
खूबसूरत से इस शहर में,
पोटली में क़ैद इंसानी सोच और मौत का इंतज़ाम
मुझे दिखाई दे रहे है
यहाँ के बहतरीन नागरिक,
भागती कारे खनकते मोबाइल
भिखारी और नरकंकाल,
गुंडे और लुटेरे
माफिया और बदमाश
सब एक साथ
भोजन और तरकी की खोज में

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