Sunday, March 28, 2010

मेरे शब्द



ये मेरे शब्द है
मेरे लहू की तरह मेरे शब्द भी
लाल रंग के है
जिसका रंग कभी नहीं बदलता
रात हो दिन सुबह हो या शाम
यह रंग एक-सा रहता है
वक़्त आने पर इस लहू में
आग जल उठती है
और मुकन्दा के इस सुर्ख लहू में
लाल रंग के फूल खिल उठते हैं
............................मुकन्दा

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