Sunday, March 28, 2010

मक्कारी भरा शहर..............

ना जाने क्यू
ये शहर मुझे
मक्कारी भरा लगता है
बिना रंगों के भी देखो
लाल ,पीला,हरा लगता है
इंसानों से डरता भी है
और उन्हें डराता भी है
इन्साफ के नाम पर
कानून कों खाता भी है
और चुराता भी है
मैंने जितनो की भी
पुँछ उठाई
सब मादा नजर आये
कोई नर
नजर आता भी है
"तू मेरी मैं तेरा
तू मुझे दिल दे
मैं तुझे दिल दू "
इसके अलावा इन्हें
कुछ आता भी है...
...mukanda

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