Sunday, March 28, 2010

अब आप ही बताइये ............

पीपल के पेड़ों से छनकर आई
धूप के नीचे
मेरी भैंस जुगाली की सवारी कर रही है
जब वह जुगाली का स्वाद
गले में गटकती है
मैं खुश होता हूं
परन्तु जुगाली के बाद भी
जब वह दूध नहीं देती है
मैं उदास हो जाता हूं
हर बार मै दूध देने के लिए
उसे मजबूर नहीं कर सकता हूँ
यहां हमारे जैसे बहुत से परिवार हैं
जो भैंसों को कठोर इंजेक्शनों से बींध देते है
हर रोज़ दूध निकालने से पहले
जीवाणुओं से सताया हुआ और
मच्छरों का खाया हुआ
भैंस का छोटा बच्चा
निशब्द दीर्घ कराह के साथ
त्वचा के उस पोर की पीडा सुनता है
जो माँ के साथ होता है हर रोज
हर रोज थनो में गर्म हो रहै दूध को
खुद ही सारा का सारा
पीने की चाह रखता है
मुझे उनसे ज्यादा खुशी महसूस नहीं होती
मुझे उनसे कम खुशी महसूस नहीं होती
तो भी मेरा मन अचानक गहराने लगता है
हाथी अपनी सूंढ़ को उठाकर गिराता है
मगरमच्छ जिन्दा रहता है खामोशी के साथ
छलांग लगाता है हिरन
और भैंस किस तरह जहर का स्वाद
चखती है
चारे के स्वाद के साथ
इंजक्शन के जहर का
जो दूध बनाकर हमारे खून को
जहर बना रहा है
अब आप ही बताइये
किस तरह का जानवर कहा जा सकता है मुझे ?

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