Sunday, March 28, 2010

रिश्ते..............

जीने दो हर रिश्तो को
इंसान के सीनों में
हर रिश्ते में एक पहचान होती है
सूरज की गर्मी की तरह बढ़ती रहती जो
रिश्ते में जीना हो तो गुलाब को देखो
कांटो के बीच भी मुरझाने का नाम नहीं लेता
जूझता रहता है कांटो के बीच
दिल भर खिलने के लिए
रिश्तो का जीवन एक बीज के रूप में जन्म लेता है
और वयस्क होकर विशाल वृक्ष के रूप में
खडा हो जाता है सीना तान कर

रिश्ता दीर्घायु होता है वृक्ष बरगद जैसा,
जो मरकर भी अपनी जड़े फैला लेता है चारो और
रिश्तो से आती है सुगंध
रमणीय जल-कुमुदिनी की तरह
जो खिलती है केवल दिन भर के लिए;

रिश्ता कभी बोझ नहीं बनता
बल्की हमारी धुल की काया उस पर बोझ बन जाती है
बिना मोमबत्ती के चुपचाप
रिश्तो को रख दिया जाता है अंधेरे में?
आकाश में हजारो लाखो तारे है
मगर आँखों में चमक केवल चाँद से ही आती है ......................
......Mukanda

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