मुकन्दा जब गुजरता है पास से
मुकन्दा जब गुजरता है पास से
उसके कन्धे पर होता है गुस्सा
या पहलवानी
या फिर कोई तल्ख़ शब्द
या बोझ
इसके इन ख़ूबसूरत कंधों को
छू सकता है अपनी हथेलियों से
सिर्फ़ उसका वजूद
या प्रेमिका
बाक़ी दूसरे लोग
बस देख सकते हैं इन्हें
या सुन सकते हैं इनके बारे में
उन लोगों से
जो गुज़र चुके हैं कभी
मुकन्दा के निकट से
उसके कन्धे पर होता है गुस्सा
या पहलवानी
या फिर कोई तल्ख़ शब्द
या बोझ
इसके इन ख़ूबसूरत कंधों को
छू सकता है अपनी हथेलियों से
सिर्फ़ उसका वजूद
या प्रेमिका
बाक़ी दूसरे लोग
बस देख सकते हैं इन्हें
या सुन सकते हैं इनके बारे में
उन लोगों से
जो गुज़र चुके हैं कभी
मुकन्दा के निकट से
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