Sunday, March 28, 2010

कई बार मेरे इस दिल को छुआ........

दिल के झरोखे में झांका जब
एक बार नहीं कई बार हुआ
मासूम अदा तेरी बातो ने
कई बार मेरे इस दिल को छुआ........

मधुमास महकती रातो में
संपुट हिय मन जलता ही रहा
जब जानहु जिउ ,जिउ से जुड़ता
मन सहज हुआ दुइ पलता रहा
अवसाद घिरे काले बादल
क्षण-क्षण में झनक गई उनकी दुआ
कई बार मेरे इस दिल को छुआ.........

मत नीरस है जग प्यार भरा
फुल्ल शतदल से आकाश भरा
सोचा मन प्रिये तुम आ जाओ
अंतस्थल में तुम छा जाओ
अवसाद मुखर आंसू बहते
तम निर्झर में कोई स्वपन खुआ
कई बार मेरे इस दिल को छुआ....
............. मुकन्दा

No comments:

Post a Comment