Sunday, March 28, 2010

साधुराम हलवाई या नाई...........

कल हलवाई के भेष में मिल गए साधुराम
बोले आ रे मुकन्दा तू दूध पिएगा या जाम
मैं बोल्या रे ताऊ तू ,कल तक तो था नाई
हुई क्या जो बात जो अब बन बैठा हलवाई
बन बैठा हलवाई मैं आया था बाल कटाने
बाल कटा सोचा था , जाउंगा लड़की पटाने
बोल्या सोच समझ के सुन रे भाई मुकन्दा
गंजो के इस देश में ,ना चले नाई का धंधा
ना चले नाई का धंधा क्या मिलता था बाल कटाई
सारे चटोरे इस शहर में ,सो मै बन बैठा हलवाई ..
..... मुकन्दा

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