Sunday, March 28, 2010

कौन हों तुम ...................

कौन हों तुम
जो मेरे घर के सामने आकर
मेरा वोट माँगते हों
कौन हों तुम जो झूठे सपने दिखाकर
दिल तौड़ते हों
कौन हों तुम
जो मेरे दुःख दर्द बताकर
दुनीया में भीख माँगते हों
और मुझे पता ही नहीं चलता
कौन हों तुम
जो दिल रात
सता की कुर्सी पर बैठकर
सारी सुविधा चखकर
मेरे दुखो के बारे में सोचते हों
और तुम्हारे सोचने से ही
मेरे दुखो का आर पार नजर नहीं आता
कौन हों तुम
जो इतनी बुराइयों के साथ भी
सत्ता से चिपके रहने चाहते हों
कौन हों तुम
जो कुर्सी से उतरने का
नाम ही लेते
कौन हों तुम
जो कुछ भी पास ना होते हुए
देश कों बहुत कुछ देना चाहते हों
कौन हों तुम
जो आँखों में धुल झोकते हों
कौन हों तुम
और क्यू मेरे दुःख में रोना चाहते हों
और हमेशा सत्ता पर सोना चाहते हों
इस कुर्सी के बिना तुम्हे
मेरे दुःख क्यू नजर नहीं आते
ये इस कुर्सी का कमाल है
या तुम्हारी दूरदर्शी आँखों का
कौन हों तुम
जो मुझे चैन से मरने भी नहीं देते
कौन हों तुम
क्यों बैचैन हों तुम
इस कुर्सी की खातिर
मुझे बताओ तो सही
कौन हों तुम
जो मेरी भैस के कम दूध देने के कारण
दुसरे देशो में अनुसंधान कराते हों
और तुम्हारे अनुसंधान देश में लागू होते ही
मेरी भैस दूध देना ही बंद कर देती है
कौन हों तुम
जो पहलवानों कों तो आश्रय देते हों
ताकी आप सुरक्षित रहे
और इंसानों कों दुत्कारते हों
कौन हों तुम ......

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