Wednesday, April 7, 2010

हे मेरी प्यारी माँ ...


एक किसान के घर जन्मी
एक महनत कश किसान की बेटी
सुबह की ताजी -सी शीतल
गम्भीर लहलहाती फसलो सी शांत
सहिष्णुता की देवी ,
धरती माँ की तरह विशाल
हे मेरी जन्मदायनि माँ
अपने आँचल में दुनिया को समेट लेने की
चाह रखने वाली
हे मेरी प्यारी माँ
सिर पर लिपटी ओढनी
फेंटा कमर में,नंगे पैर
लांघ खेत खलियानों की कँटीली झडियाँ
पीठ पर गट्ठर का बोझ
जाती है धीरे-धीरे चलते हुए
खेतो की पीठ-दर-पीठ
पार कर जाती है धीरे-धीरे
अनेक टेढे मेढे रास्ते
कुओ की गहराई से खीचकर
भर कर पानी, पका कर खाना
दूर, निर्जन कष्टकर रेतीले खेत पर
मेड़ से मेड़ तक श्रम-ध्वनि पूर्वक खुदाई के बाद
विश्राम से रहित
सभी बच्चो के लिए
धरती को चीर कर अन्न उगाने वाली
तू कभी नहीं थकती हमेशा चलती जाती है
पोंछते हुए पसीना आँचल से
हे मेरी माँ

एक दिन पूछा मैंने--
माँ कहा से आती है ये शक्ति और ज्ञान तुझमे
वो धीरे से मुस्काई
मै जन्म दायनी हूँ
मुझे पता है जीवन कैसे आता है
और कैसे पलता है
उसके लिए मुझे किसे स्कूल कालिज जाने की
जरुरत नहीं
कुदरत ने वो ज्ञान मुझे स्वभाव में दिया है
की एक माँ अपने बच्चो को कैसे पालती है
मेरे लाल मुकन्दा
तू पढ़कर बहुत सिख गया मेरे बच्चे
पर जब फुरसत मिले इस माँ के
हृदय को पढ़ना
संसार का समस्त ज्ञान इसके सामने बौना है
क्यों की ज्ञान और जीवन का सर्जन तो यही से होना है
मै विस्मय से--
माँ के चारे को ताकता रहा
देखा माँ ने मुझे एक बार
फिर हरा दिया
आखिर माँ तो माँ होती है
पिता बीज है तो माँ धरती
बीज को अपने भीतर से
पौधा बनाकर बाहर निकालती है वो
और इससे पहले की समझा पाती
कुछ और या पूछ पाता मै
कुछ और सत्य
चली गई
चली गई पहले की तरह
मुझे निरउत्तर सा छोड़कर
अपनी गुरु-गम्भीर चाल से
बच्चो की बेहतरी के लिए
उन खेतो खलियानों की और
जहां से मिलाती है ऊर्जा
सृजन शक्ति की
चाहे वो जीवन हो या अन्न
मै नहीं भूल पाउँगा तुझे
हे मेरी प्यारी माँ ...

5 comments:

  1. waah sir ji ..lathh se gaad diye ji..maa ki yaad aagi sachiyein :( ...apne haryane ka kaafi asar hai kavita mein ...
    Great one !!!

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  2. ab tak padhigayi meri kavitaao me

    mujhe yah srvshreshth kavitaao me se ek lagati hain

    likhate rahe mukanda

    aap poet ho poet ho ........

    aur aapake pas jiivan kii gaharii samajh hain

    ek aakrosh bhi hain -ki .........manushy ..

    shikshit kyo nahi hotaa

    1-manushyo ke paas ..aesi samaajik aur rajnaitik ..tathaa aarthik ..uplbdhiyaa hain ......
    2-jine vah jiite jii ..........samaaj ka vikas kar saktaa hain

    par svyam kaa nahin

    3-vah mangal grah ke liye racket banane me shaamil ho sakta hain

    4-vah bhvy mandir ka nirmaan karane ke liye

    cement me paanii ki tarah shaamil ho sakta hain

    par mandir me bina izazat ghus nahi sakta

    5-vah pradhan mantri ko chun sakta hain

    lekin pradhaan mantri ...
    aalu ..pyaaj..shakkar ..tel ...mitti tel ..
    chanval ..dal ..sabji ke bhav kyo badhaatii hain

    vah puchh nahi saktaa



    bhala ..........mitr .....in aavaashyak vastuo ka petrol se kya sambandh hain

    gold se kya naataa hain

    a-gold
    b-petrol
    3-urenium

    ko kya ham khaa sakte hain


    bas itna hi mite


    shubh kamna

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  3. मै जन्म दायनी हूँ
    मुझे पता है जीवन कैसे आता है
    और कैसे पलता है
    उसके लिए मुझे किसे स्कूल कालिज जाने की
    जरुरत नहीं
    कुदरत ने वो ज्ञान मुझे स्वभाव में दिया है
    की एक माँ अपने बच्चो को कैसे पालती है
    मेरे लाल मुकन्दा
    तू पढ़कर बहुत सिख गया मेरे बच्चे
    पर जब फुरसत मिले इस माँ के
    हृदय को पढ़ना
    संसार का समस्त ज्ञान इसके सामने बौना है

    kya baat hain ........vah

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  4. thxxx jogi ji..bbahut bahut dhanyawad Srinat Kishor sahab...

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  5. Mukanda ji, apko padhna ek anubhav hai.
    Milta rahe yah anubhav ham logon ko

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