Sunday, March 28, 2010

दुनियादारी...........


बहुत जरूरी हैं प्रेम और दुलार
इन्हें अपनी आदत में शामिल करो
इनके बिना हम रह नहीं सकते
इन्हें दुनियादारी में शामिल करो
अत्याचार और उपेक्षा से
तथ्यहीन विचार और बेचैनी जन्म लेती है
नफ़रत करते हैं हम
दिल की आग और अपने आँसू से
इन चकनाचूर आईनों में घृणा भरी होती है
जो नफ़रत की परछाई से टकराकर
भलमनसाहत बन जाती है
जो दोस्ती के रूप में दुश्मन बनकर
घुमते रहते है
लेकिन हमारे दो दुश्मन और भी हैं
ये दुश्मन हैं
अहंकार
और दूसरे पर हुक्म चलाने की आदत
इसे झटककर अलग करो
नहीं जी सकते हम
खुशी भरा जीवन
इन्हें झटके बिना

1 comment:

  1. बहुत जरूरी हैं प्रेम और दुलार
    इन्हें अपनी आदत में शामिल करो

    prem hain -tabhi akrosh ka mahtav hain

    yahi sty hain

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